आज से तक़रीबन डेढ़ साल पहले मुझे हाइपरथायरॉडिज़्म की शिकायत हुई.
इलाज के लिए मैंने एक एलोपैथिक डॉक्टर से संपर्क किया, और इलाज शुरू हुआ. मैंने डॉक्टर से पूछा कि यह कब तक ठीक हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इसका कोई स्थायी इलाज एलोपैथी में नहीं है.
ख़ैर, मैंने उनकी दवाइयाँ लेनी शुरू कीं, लेकिन अपने स्तर पर भी एक इलाज शुरू किया. पिछले 20 सालों से योग-ध्यान करते हुए मुझे यह पूरा भरोसा हो चुका था कि इससे शारीरिक और मानसिक रोगों से बहुत अच्छे ढंग से निपटा जा सकता है.
इस तरह मैंने दवाइयाँ, संतुलित आहार, एवं योग―विशेष रूप से वे प्राणायाम जो कि थायरॉडिज़्म से संबंधित थे― उन्हें अपनी जीवनशैली में शामिल किया. लगभग छह महीने के अंदर मेरा थायरॉइड का स्तर सामान्य हो गया, और दवाई भी बंद हो गई. डॉक्टर भी अचंभित थे मेरी अंतिम जाँच रिपोर्ट को देखकर.
आज मैं पूर्ण रूप से न केवल इस व्याधि से मुक्त हूँ, बल्कि पिछले एक साल में अपने इलाज पर होने वाले ख़र्च का लगभग 15000/- बचा चुका हूँ.
यह मात्र एक साल की बचत है, वह भी एक बीमारी की. यदि हम एक स्वस्थ जीवन-शैली का पालन करें, तो कितना पैसा बचा सकते हैं. जितनी बचत होगी, उतना कमाना कम पड़ेगा. और बचे हुए समय में आप कला, साहित्य, विज्ञान, खेलकूद, घूमना-फिरना ऐसे कितने ही अपनी मनपसंद के कार्य कर सकेंगे.
मेरे वित्तीय प्रबंधन (financial management) में सबसे बड़ी भूमिका इसी प्रकार की बचत की थी, न की कमाई की. और इसी प्रबंधन ने मेरी मदद की जल्दी सेवानिवृत्त होकर एक विश्रामपूर्ण और रचनात्मक जीवन जीने में.